मंडला जिले के ग्राम पिपरटोला में जल संकट ने लोगों का जीवन बेहाल कर दिया है। करीब एक हजार की आबादी वाला यह गांव भीषण गर्मी के साथ पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहा है। गांव के कुएं, तालाब और हैंडपंप पूरी तरह सूख चुके हैं, जिससे ग्रामीणों को डेढ़ किमी दूर हालोन नदी के किनारे रेत में झिरिया खोदकर पीने का पानी निकालना पड़ रहा है। पथरीले और कच्चे रास्तों पर चलते हुए महिलाएं, पुरुष और बच्चे पानी की तलाश में सुबह से शाम तक भटकते हैं। ग्रामीणों ने बताया, दूसरे गांवों के लोग यहां विवाह करने से कतराते हैं, क्योंकि बुनियादी जरूरतों की पूर्ति न होना एक बड़ा अवरोध बन गया है। गांव के कई युवक अब भी अविवाहित हैं। कोई अपनी बेटी ऐसे गांव में नहीं देना चाहता, जहां पीने का साफ पानी भी उपलब्ध नहीं हो। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीईओ तथा कार्यपालन यंत्री (पीएचई), मंडला से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दो सप्ताह में मांगा है।
मंडला जिले के ग्राम पिपरटोला में जल संकट ने लोगों का जीवन बेहाल कर दिया है। करीब एक हजार की आबादी वाला यह गांव भीषण गर्मी के साथ पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहा है। गांव के कुएं, तालाब और हैंडपंप पूरी तरह सूख चुके हैं, जिससे ग्रामीणों को डेढ़ किमी दूर हालोन नदी के किनारे रेत में झिरिया खोदकर पीने का पानी निकालना पड़ रहा है। पथरीले और कच्चे रास्तों पर चलते हुए महिलाएं, पुरुष और बच्चे पानी की तलाश में सुबह से शाम तक भटकते हैं। ग्रामीणों ने बताया, दूसरे गांवों के लोग यहां विवाह करने से कतराते हैं, क्योंकि बुनियादी जरूरतों की पूर्ति न होना एक बड़ा अवरोध बन गया है। गांव के कई युवक अब भी अविवाहित हैं। कोई अपनी बेटी ऐसे गांव में नहीं देना चाहता, जहां पीने का साफ पानी भी उपलब्ध नहीं हो। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीईओ तथा कार्यपालन यंत्री (पीएचई), मंडला से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दो सप्ताह में मांगा है।