नीमच : किसानों को उन्नत बनाने के लिए पी.एम.श्री नरेंद्र मोदी लगातार प्रयासरत हैं, इसी कड़ी में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 लागू की गई है। इसके तहत वाटरशेड परियोजना वर्षा आधारित और क्षरित भूमि की उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है, जिससे किसानों को पानी की उपलब्धता हो सके और उनकी आय में वृद्धि हो सके। वर्षा जल को कंटूर ट्रेंच, छोटे तालाब, खेत तालाब और चेक डैम बनाकर, संचय कर, कृषि सिंचाई और भू-जल स्तर को बढ़ाना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य है।
नीमच जिले के विकासखण्ड मनासा के ग्राम दांता , कुंडालिया एवं भगोरी में पहाड़ी क्षेत्र की लगभग 26 हक्टेयर भूमि पर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तहत रिज टू वेली परिकल्पना के आधार पर कंटूर ट्रेंच निर्माण का काम किया गया है। कंटूर ट्रेंच तकनीक सतही जल बहाव को धीमा करने और ढ़लान वाली भूमि से मिट्टी के कटाव को धीमा करने और खराब भूमि को फिर से हरी भरी बनाने के उद्देश्य से एवं जल के अत्यधिक बहाव को रोकने के लिए कन्टूर ट्रेन्च का निर्माण किया गया है।
यह परियोजना विकासखण्ड मनासा की परियोजना क्रमांक 01 में संचालित है, जो कि नीमच शहर से लगभग 65 किलो मीटर दूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है। क्षेत्र का अधिकतम भू-भाग मालवा के पठार पर स्थित है। परियोजना क्षेत्र के अधिकतम भू-भाग गहरी काली मिट्टी से ढंके है, लाल दोमट मिट्टी में बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी पाई जाती है।परियोजना क्षेत्र में अधिकतम पठारी भूमि को ग्रामवासियों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था, उपचार स्वरुप समिति एवं ग्रामवासियों के साथ सतत बैठके करके, उन्हें कन्टूर ट्रेन्च से होने वाले मृदा एवं जल संरक्षण के लाभ से अवगत करवाया गया।
परियोजना क्रमांक 01 अन्तर्गत लगभग 27 हक्टेयर ढ़लान भूमि जिसका स्लोप 8% से अधिक है, क्षेत्र का चयन किया गया एवं कुल 45.81 लाख रूपये की लागत से स्ट्रेगर्ड कंटूर ट्रेंच का निर्माण परियोजना क्षेत्र में किया गया, चूँकि ढ़लान वाले क्षेत्रों में समोच्च खाइयां मृदा एवं जल संरक्षण हेतु उपयोगी होती है। इसलिए स्ट्रेगर्ड कंटूर ट्रेंच समलम्बाकार आकार में खोदी गई खाइयाँ है, जिनकी ऊपरी चौड़ाई 1.0 मीटर और गहराई 1.0 मीटर है। निकाली गई मिट्टी का उपयोग खाई से ठीक नीचे की ओर एक बरम बनाने के लिए किया गया। खाइयों को ढ़लान के लंबवत (समोच्च रेखा के साथ) खोदा गया, जो की क्रमबद्ध हैं।जो कि 3 मीटर लंबे है, प्रत्येक पंक्ति के बीच 3 मीटर का अंतर रखा गया।
नीमच जिले में वाटरशेड परियोजना द्वारा नवाचार करते हुए कंटूर ट्रेन्च के आसपास बबूल, खेर आदि बीजों का छिड़काव किया गया, जिससे कि प्राकृतिक रूप से वृक्षों का रोपण किया जा सके। जिसका परिणाम अपेक्षाकृत बेहतर रहा परिणाम स्वरूप न केवल बंजर पहाड़ी क्षेत्र में हरियाली देखी जा सकती है साथ ही भू-जल स्तर में भी वृद्धि हो रही है।
नीमच जिले के मनासा विकासखंड के ग्राम पंचायत भगोरी के कृषक मुकेश धनगर ने बताया कि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना तहत गांव में कंटूर ट्रेंच का कार्य हुआ। इससे जमीन का जल स्तर बढ़ा और हम सबके खेतों में पानी की व्यवस्था होने लगी। जमीन का जल स्तर बढ़ गया, खेत तालाब योजना से भी पानी मिलने लगा है। अब खेतों में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है और हम चार-चार फसल लेने लगे हैं।